ज्ञान रतन का जतन कर, माटी का संसार ।
कुटिल वचन सबसे बुरा, जा से होत न चार ।
जब गुण को गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाई ॥
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ॥
जाति न पूछो साधू की पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार को पडा रहन दो म्यान ॥
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ॥
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